मेरी इक्यावन कविताएँ अटल बिहारी वाजपेयी :: Meri Ekyavan Kavitayen Atal Bihari Vajpayee
मेरी इक्यावन कविताएँ अटल बिहारी वाजपेयी
आओ फिर से दिया जलाएँ
हरी हरी दूब पर
पहचान
गीत नहीं गाता हूँ
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
ऊँचाई
कौरव कौन, कौन पांडव
दूध में दरार पड़ गई
मन का संतोष
झुक नहीं सकते
दूर कहीं कोई रोता है
जीवन बीत चला
मौत से ठन गई
राह कौन सी जाऊँ मैं?
मैं सोचने लगता हूँ
हिरोशिमा की पीड़ा
नए मील का पत्थर
मोड़ पर
आओ मन की गांठें खोलें
नई गाँठ लगती
यक्ष प्रश्न
क्षमा याचना
स्वतंत्रता दिवस की पुकार
अमर आग है
परिचय
आज सिन्धु में ज्वार उठा है
जम्मू की पुकार
कोटि चरण बढ़ रहे ध्येय की ओर निरन्तर
गगन मे लहरता है भगवा हमारा
उनकी याद करें
अमर है गणतंत्र
सत्ता
मातृपूजा प्रतिबंधित
कण्ठ-कण्ठ में एक राग है
आए जिस-जिस की हिम्मत हो
एक बरस बीत गया
जीवन की ढलने लगी साँझ
पुनः चमकेगा दिनकर
कदम मिलाकर चलना होगा
पड़ोसी से
रोते रोते रात सो गई
बुलाती तुम्हें मनाली
अंतरद्वंद्व
बबली की दिवाली
अपने ही मन से कुछ बोलें
मनाली मत जइयो
देखो हम बढ़ते ही जाते
जंग न होने देंगे
आओ! मर्दो नामर्द बनो
सपना टूट गया
मुख्य प्रष्ठ-अटल बिहारी वाजपेयी
आओ फिर से दिया जलाएँ
हरी हरी दूब पर
पहचान
गीत नहीं गाता हूँ
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
ऊँचाई
कौरव कौन, कौन पांडव
दूध में दरार पड़ गई
मन का संतोष
झुक नहीं सकते
दूर कहीं कोई रोता है
जीवन बीत चला
मौत से ठन गई
राह कौन सी जाऊँ मैं?
मैं सोचने लगता हूँ
हिरोशिमा की पीड़ा
नए मील का पत्थर
मोड़ पर
आओ मन की गांठें खोलें
नई गाँठ लगती
यक्ष प्रश्न
क्षमा याचना
स्वतंत्रता दिवस की पुकार
अमर आग है
परिचय
आज सिन्धु में ज्वार उठा है
जम्मू की पुकार
कोटि चरण बढ़ रहे ध्येय की ओर निरन्तर
गगन मे लहरता है भगवा हमारा
उनकी याद करें
अमर है गणतंत्र
सत्ता
मातृपूजा प्रतिबंधित
कण्ठ-कण्ठ में एक राग है
आए जिस-जिस की हिम्मत हो
एक बरस बीत गया
जीवन की ढलने लगी साँझ
पुनः चमकेगा दिनकर
कदम मिलाकर चलना होगा
पड़ोसी से
रोते रोते रात सो गई
बुलाती तुम्हें मनाली
अंतरद्वंद्व
बबली की दिवाली
अपने ही मन से कुछ बोलें
मनाली मत जइयो
देखो हम बढ़ते ही जाते
जंग न होने देंगे
आओ! मर्दो नामर्द बनो
सपना टूट गया
मुख्य प्रष्ठ-अटल बिहारी वाजपेयी
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